2024-04-18T16:54:13
दिखलावा भी महा पापों में से है। जैसे कि कोई भी नके कार्य अल्लाह की खुशी के लिए न किया जाए बल्कि लोगों को दिखलाने के लिए किया जाए, या अल्लाह के साथ साथ लोगों की खुशी का इरादा किया जाए। जिस में बहुत से लोग अज्ञानता के कारण लिप्त हैं। जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु […]
2024-04-17T16:40:21
रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सारी संतान ख़दीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से पैदा हुईं, सिवाए इबराहीम के, निम्न में उनका संछिप्त वर्णन किया जा रहा है: 1- अल-क़ासिमः यह रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की संतान में सब से बड़े थे। इनके नाम से ही आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की कुन्नियत अबुल क़ासिम थी। दो […]
2024-04-16T16:00:53
अल्लाह तआला ने अपने अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल. को विश्वव्यापी संदेश दे कर सम्पूर्ण संसार के लिए भेजा तो उनकी संगत के लिए ऐसे महान पुरुषों का भी चयन किया जो इस्लाम के विश्वव्यापी संदेश को सम्पूर्ण संसार में पहुंचाने के योग्य ठहरें, उन्हीं साथियों को सहाबा कहते हैं, जो सहाबी का बहुवचन है। यह […]
2024-04-15T15:56:31
निम्न में हम आपकी सेवा में एक एक अनाथ बच्चे की जीवनी प्रस्तुत कर रहे हैं जो अंधकार युग में पैदा हुआ, पैदा होने से पहले पिता का देहांत हो गया, 6 वर्ष के हुए तो माता भी चल बसीं, अनाथ थे पर समाज में दीप बन कर जलते रहे, आचरण ऐसा था कि लोगों […]
2024-04-14T15:19:23
विभिन्न उद्देश्यों के अंतर्गत अल्लाह तआला ने नबी r को अपनी उम्मत की तुलना में चार से अधिक विवाह की अनुमति दी थी। आपकी पत्नियों की संख्या 11 तक पहुंचती है। उन में से दो हज़रत ख़दीजा और ज़ैनब बिन्ते जहश (रज़ियल्लाहु अनहुमा) आपके जीवन ही में प्रलोक सुधार गईं जबकि 9 का देहांत आपके […]
2024-04-13T15:09:54
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कभी किसी खाने में दोष नहीं लगाया, इच्छा होती तो खाते वरना छोड़ देते। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मिलने वाले को सब से पहले सलाम करते थे, हर व्यक्ति से हंस कर बात करते, तपाक से हाथ मिलाते और हाथ न छोड़ते जब तक वह स्वयं अपना हाथ न खींच लेता। […]
2024-04-12T14:49:48
मानव एक साथ रहते हैं जिन के जीवन में विभिन्न प्रकार की स्थिति आती रहती है। एक दुसरे के खुशी में साथ देते हैं, एक दुसरे की परेशानी और दुःख के समय में एक दुसरे की सहायता करते हैं। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने भी विभिन्न प्रकार से लोगों से हंसी मज़ाक किया है, […]
2024-04-11T14:09:33
मानव जिस धरती पर जन्म लेता है। जहां पढ़ता लिखता हैं, जहां उसने अपने जीवन के सब से बहुमूल्य तथा महत्वपूर्ण समय बिताया है तो वह उस से प्रेम करता है, यह नियम अल्लाह बनाया हुआ है, जिस का स्पष्टि करण रसूलु (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के इस कथन से प्रमाणित होता है। जब मक्का वासियों ने […]
2024-04-10T13:08:10
बिदअत का क्या अर्थ है और उसका मतलब क्या है। उसका हुक्म क्या है ? अरबी भाषा के अनुसार बिदअत का अर्थ होता है किसी वस्तु का सर्व प्रथम अविष्कार करना है, प्रथम बार किसी नई वस्तु का बनाना है। जैसा कि अल्लाह का कथन है। بَدِيعُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ وَإِذَا قَضَىٰ أَمْرًا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُ […]
2024-04-09T12:34:17
अल्लाह तआला ने नबियों तथा रसूलों को दुनिया में भेजा ताकि उन का अनुसरण किया जाए और उनकी अवज्ञा से बचना ही सफलता की गारेन्टी है। क्योंकि रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण वास्तव में अल्लाह तआला का ही अनुसरण है। जैसा कि अल्लाह तआला का प्रवचन है। مَّن يُطِعِ الرَّسُولَ فَقَدْ أَطَاعَ اللَّـهَ ۖ […]
2024-04-08T12:25:33
संसार एक परिक्षास्थल हैः निःसंदेह यह संसार एक परिक्षास्थल है।इस में जो कर्म हम करेंगे, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, उसी के अनुसार हमें आगे के दोनों जीवन में बद्ला प्राप्त होगा, यदि हमने अपनी जीवन को अच्छे कार्यों में लगाए, लोगों के भलाइ के काम किये, लोगों को उनका अधिकार दिया, अल्लाह की […]
2024-04-07T11:49:25
ईसा (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) को अल्लाह ने कुरआन मजीद में जो स्थान दिया है जो आदर- सम्मान दिया है, बिल्कुल वह इसके अधिकार तथा ह़क़्दार हैं और इस बात की पुष्टि बाइबल भी करता है परन्तु सेकड़ों बाइबल का वजूद बाइबल के असुरक्षित होने का प्रमाण है। लोग अपने स्वार्थ हेतु बाइबल […]
2024-04-06T11:06:02
इस्लामी महीनों में से एक महीना सफर का महीना है। जिसका अर्थ होता है खाली होना, फारिग़ होना, और इस महीने को सफर इस लिए कहा जाता है कि इस्लाम से पहले अरब दुसरे समुदायों पर आक्रमण करते, उनका सब कुछ लूट लेते और उन्हें ख़ाली हाथ कर देते थे। अरब इस महीने में दो […]
2024-04-05T10:39:41
इस्लाम ने बिना बदला के कैदियों, मिसकिनों और अनाथों को खाना खिलाने पर उत्साहित किया है और जिन सहाबा (रज़ियल्लाहु अन्हुम) ने यह कार्य किया और अपने इस कार्य पर अल्लाह की प्रसन्नता का इच्छा रखा तो अल्लाह तआला ने उन लोगों की प्रशंसा बयान किया है। अल्लाह तआला का फरमान है। وَيُطْعِمُونَ الطَّعَامَ عَلَىٰ […]
2024-04-04T09:30:03
अल्लाह तआला ने मानव को स्वतन्त्र पैदा किया है। मानव केवल अल्लाह का दास है और अल्लाह का ही गुलाम है। जिसने मानव की रचना अपनी पुजा के लक्ष्य से किया है। जैसा कि अल्लाह तआला का फरमान है। وَمَا خَلَقْتُ الْجِنَّ وَالْإِنسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ ﴿الذاريات: ٥٦﴾ मैंने तो जिन्नों और मनुष्यों को केवल इस […]
2024-04-03T08:58:47
जब कोई व्यक्ति आपका कोई मामूली काम कर देता है तो तुरन्त आपकी ज़बान पर ” धन्यवाद ” के शब्द आ जाते हैं क्योंकि मानव प्रकृति में यह यह बात पाई जाती है कि मोहसिन को धन्यवाद दिया जाए और उसे श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाए , हालांकि दुनिया के एहसानात मामूली और […]
2024-04-02T08:39:40
अभी हम 21वीं शताब्दी से गुजर रहे हैं , यह शताब्दी अविष्कारों की शताब्दी कहलाती है , बुद्धि विवेक में प्रगति की शताब्दी कहलाती है , हर मैदान में विकास ही विकास दिखाई दे रहा है , परन्तु खेद की बात यह है कि इस शताब्दी में सभ्य और विकसित कहलाने वाले कुछ लोग […]
2024-04-01T08:35:22
इस धरती पर मानव ने अत्याचार के विभिन्न रूप देखें हैं, इतिहास में वह दिन भी देखा है कि फिलिस्तीन की धरती पर सात समुद्र पार से कुछ लोग आए, फिलिस्तीनियों के देश में “इस्राइल” नामक एक देश का निर्मान किया और अमेरिका सहित पूरी दुनिया ने उसे देश के रूप में स्वीकार भी कर […]
2024-03-31T07:53:35
मैं कभी मूर्ति पूजक था, मूर्ति पूजा में इतना आगे बढ़ा हुआ था कि मूर्तियों की प्रशंसा में हमेशा लगा रहता था और दूसरों को भी मूर्ति पूजा की ओर आकर्षित करता था। सुबह सवेरे जागता, मूर्ति की पूजा करता फिर सूर्योदय का इंतजार करता, जब सूर्य निकल जाता तो उसकी भी पूजा करने […]
2024-03-30T07:46:51
अल्लाह तआला के सम्पूर्ण अच्छे नामों और सिफात (विशेषताएँ) का आदर-सम्मान करना प्रत्येक मुस्लिम पर अनिवार्य है। ईमान का तकाज़ा है कि अल्लाह के नामों और सिफात के अनुसार जीवन व्यतीत की जाए। ताकि हमें ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह के नामों तथा विशेषताएँ के माध्यम से बरकत हासिल हो। अल्लाह तआला के नामों एवं विशेषताएँ […]